श्री शारदा सर्वज्ञ पीठम 🚩*
*जय सत्य सनातन
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युगाब्द-५१२५*


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विक्रमसंवत-२०८०*


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तिथि - प्रतिपदा रात्रि 12:47 तक तत्पश्चात द्वितीया*



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दिनांक -10.02.2024*

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दिन - शनिवार*

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अयन - उत्तरायण*

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ऋतु - शिशिर*

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मास - माघ*

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पक्ष - शुक्ल*

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नक्षत्र - धनिष्ठा रात्रि 08:34 तक तत्पश्चात श्रवण*

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योग - वरियान दोपहर 02:54 तक तत्पश्चात परिघ*

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राहु काल - सुबह 10:05 से 11:29 तक*

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सूर्योदय - 07:15*

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सूर्यास्त - 06:33*

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दिशा शूल - पूर्व*

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ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:34 से 06:25 तक*

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निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:28 से 01:19 तक*

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व्रत पर्व विवरण - माघ गुप्त नवरात्रि प्रारम्भ, पंचक आरम्भ ( सुबह १०:०२)*

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विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

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गुप्त नवरात्रि : 10 फरवरी से 18 फरवरी
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माघ मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तिथि तक 9 दिनों को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है । इस बार माघ मास की गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ 10 फरवरी, शनिवार से हो रहा है, जिसका समापन 18 फरवरी, रविवार को होगा । इस नवरात्रि में भी हर तिथि पर माता के एक विशेष रूप की पूजा की जाती है ।*

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गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है ।*

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शैलपुत्री का आराधना करने से जीवन में स्थिरता आती है । हिमालय की पुत्री होने से यह देवी प्रकृति स्वरूपा भी है । स्त्रियों के लिए उनकी पूजा करना ही श्रेष्ठ और मंगलकारी है ।*

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नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री को दूध और घी से बनी सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाया जाता ।*

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पंचक क्या और क्यों लगता है ?
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पांच नक्षत्रों के मेल को पंचक कहा जाता है । ये नक्षत्र हैं धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती । इन नक्षत्रों के संयोग से पंचक नक्षत्र आता है । चंद्रमा एक राशि में ढाई दिन रहता है । अतः दो राशियों में चंद्रमा पांच दिन तक रहता है। इन पांच दिनों के दौरान चंद्रमा, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती से गुजरता है और इस कारण ये पांचों दिन पंचक कहे जाते हैं ।*

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निम्नलिखित पांच प्रकार के कार्यों में बाधा नहीं डालनी चाहिए:-*

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1) पंचक लगने पर बिस्तर बनाना अच्छा नहीं माना जाता है। विद्वानों के अनुसार एक बड़ा संकट आने वाला है ।*

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2) पंचक धनिष्ठा नक्षत्र के दौरान लकड़ी और ज्वलनशील वस्तुएं न खरीदें अन्यथा आग लगने की संभावना रहती है ।*

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3) जब पंचक चल रहा हो तो दक्षिण दिशा में यात्रा न करें क्योंकि दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी जाती है ।*

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4) जब पंचक रेवती नक्षत्र पर हो तो घर की छत नहीं बनानी चाहिए । विद्वानों के अनुसार इससे धन हानि और घर में क्लेश होता है ।*

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5) यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक तिथि के दिन होती है तो उसे अंतिम संस्कार करते समय आटे की पांच मूर्तियां बनानी चाहिए और कुशा का दर्भा बनाकर विधि-विधान से अग्नि देनी चाहिए । ऐसा करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है ।*

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शनिवार के दिन विशेष प्रयोग
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शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*

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हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*

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आर्थिक कष्ट निवारण हेतु
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एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*

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