वजूद बचाने को तेजस्वी को चाहिए पिता का सहारा
पटना। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर 11वीं बार भी लालू प्रसाद यादव के ही लगातार चुने जाने की खबर कोई हैरान करने वाली बात नहीं है। बल्कि, सवाल है कि जेल में रहकर भी पार्टी की कमान संभालने की आखिर क्या मजबूरी है? खासकर तब, जब लालू परिवार से ही इस पद के लिए दो तगड़े दावेदार हैं। नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेजस्वी यादव ने अपनी पहचान बना ली है। पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में राबड़ी देवी भी परिवार से ही बड़ी दावेदार हैं। फिर भी लालू का सहारा क्यों? क्या तेजस्वी यादव को वजूद बचाने के लिए पिता का सहारा चाहिए?
सवाल आरजेडी के अंदर से भी उठ रहे हैं और बाहर से भी। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मंगल पांडेय ने तो यह भी कह दिया कि लालू को आजीवन ही अध्यक्ष क्यों नहीं बना दिया जाता है? बार-बार की नौटंकी क्यों?
चारा घोटाले में सजा के दौरान रांची के अस्पताल (RIMS) में इलाजरत लालू की ताजपोशी के मकसद के मायने तेजस्वी के उस बयान से साफ हो जाते हैं, जिसमें उन्होंने कहा है कि उनके पिता व्यक्ति नहीं, विचारधारा हैं और उनके नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव होगा। तेजस्वी के बयान में सूबे की भावी सियासत का संकेत है। साथ ही सामाजिक समीकरण दुरुस्त करने और राजनीतिक वजूद बचाने की जद्दोजहद भी दिख रही है।
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