कैंसर की रोक, मशरूम भोजन
अब मशरूम का उपयोग कैंसर जैसी असाध्य बीमारी की रोकथाम में भी किया जा सकेगा। आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने मशरूम की ऐसी किस्म की खोज की है जो सामान्य मशरूम के मुकाबले ज्यादा औषधीय गुणों से युक्त है और इसके सेवन से कैंसर जैसी घातक बीमारियांे पर आसानी से लगाम लगाई जा सकेगी। औषधीय महत्व की इस मशरूम प्रजाति को मंकी हेड का नाम दिया गया है।
आईसीएआर के खुम्ब अनुसंधान निदेशालय, सोलन के निर्देशक डाॅ. मनजीत ंिसंह ने बताया कि औषधीय गुणों से भरपूर मंकी हेड मशरूम की प्रजाति लगभग लुप्त हो चुकी थी। वैज्ञानिकों ने अथक प्रयासों से न सिर्फ इस प्रजाति को खोज निकाला बल्कि इसे विकसित करने में भी सफलता प्राप्त कर ली है। हिमाचल प्रदेश मंे सर्वेक्षण के दौरान मशरूम फुट बाॅडी से टिश्यू कल्चर के जरिए इस नई प्रजाति का विकास किया गया है। शोध और अनुसंधान से यह तथ्य सामने आया है कि इस मशरूम के सेवन से अनेक प्रकार के कैंसर की रोकथाम संभव है। फिलहाल इस प्रजाति को बड़े स्तर पर विकसित किया जा रहा है ताकि इसका व्यवसायीकरण किया जा सके। अभी भारत सहित दुनियाभर में लकड़ी के बुरादे, गन्नें की खोई, कपास बीज के छिलके या धान के तने आदि की खाद का इस्तेमाल कर मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने गुलाबी रंग के सीप ओएस्टर नाम की एक अन्य प्रजाति की मशरूम का भी विकास किया है। इसे टनल पास्चरीकृत तकनीक से तैयार किया गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक मशरूम का ज्यादातर इस्तेमाल सब्जी के रूप में किया जा रहा है। इसमें विटामिन बी.12, फोलिक एसिड और विटामिन डी जैसे पोषक तत्वों के अलावा रेशेदार तत्व और पोटेशियम भी मौजूद हैं। कम कैलोरी वाली यह सब्जी चिकनाई युक्त है।
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